cell biology 4, तारककाय क्या है । पक्ष्माभ तथा कशाभ क्या है।

तारककाय-- यूकैरियोटिक जन्तु कोशिकाओं में बेलनाकार उपसूक्ष्मदर्शीय,कलारहित सरंचना है।जिसे तारककेन्द्र कहते है। इसकी खोज टी० बॉवेरी(1888)ने सेन्ट्रोसोम नाम दिया। इसे सबसे पहले वान बेन्डन ने देखा। प्रत्येक तारकेन्द्र की लम्बाई 500nm (5000A०)तथा व्यास 150nm (1500A०)होता है।सेन्ट्रियोल के चारों और के स्वच्छ कोशिकाद्रव्य को सेन्ट्रोस्फीयर या काइनोप्लाज्म या साइटोसेंट्रम कहते है।  दोनों सेन्ट्रियोल्स को सामान्य रूप से डिप्लोसोम्स कहते है। प्रत्येक सेन्ट्रियोल सूक्ष्मनलिकाओं के 9 परिधीय त्रिक तंतुओं का बना होता है। लेकिन केन्द्रीय भाग में ये अनुपस्थित होते है।इस प्रकार सेन्ट्रियोल्स में नलिकाओं का 9+0 विन्यास होता है।तारकेन्द्र उच्च पादपों में अनुपस्थित होते है।यद्पि तारकेन्द्र उन पादपों में पाए जाते है।जिनके जीवन चक्र में कशाभिक अवस्था पाई जाती है। 

Eg:अनेक हरे शैवाल, ब्रायोफाइट्स, साइकेडस।                                                                   

संरचना : इसकी आन्तरिक संरचना में तीन तीन के समूहओं में परिधीय सूक्ष्म नलिकाएँ परिधि पर तिरछी लगी रहती है।प्रत्येक सूक्ष्मनलिका की दीवारों में टब्यूलीन प्रोटीन तथा कुछ वसा ,ATPabe एन्जाइम के बने 13 तन्तु लगे रहते है। जो एक घेरा बनाते है। केन्द्रीय छड़ आकार भाग प्रत्येक त्रिक समूह के प्रत्येक सूक्ष्म नलिका से एकल तन्तु द्धारा जुड़ा रहता है। जो एक बैलगाड़ी के पहिये के समान रचना होती है।जिसे धुरी कहते है। इसमें 9 डण्डे लगे रहते है।               


                                                                        
कार्य : 1. कोशिका विभाजन के समय जन्तु कोशिकाओं में विपरीत ध्रुव तथा तर्कु तन्तु का निर्माण करती है।                                                                                              
2. कशाभिकाओं तथा पक्षाशिकाओ की आधार कणीयकाओ के निर्माण कार्य करती है। 
3.शुक्राणु जनन के समय की पुंछ का उद्गम तारककाय के द्धारा होता है।     

पक्ष्माभ तथा कशाभ (Cilia and Flagella): सरल एककोशिकीय जीवों की बाहय सतह पर छोटी कोमल तन्तु नुमा संरचनाये पक्ष्माभिकाऐ कहलाती है। जैसे पैरामेशियम की बाह्य सतह।                                                                                 
 एक कोशिकीय शैवालों तथा बीजाणु पर लम्बी पतली धागे नुमा संरचना पाई जाती है। जिन्हें कशाभिका कहते है।   

संरचना : उपरोक्त दोनों की मूलभूत संरचना समान होती है इसमें एक परिधि पर नौ जोड़ी सूक्ष्म नलिका दो केन्द्रीय नलिकाओं के चारों ओऱ से घेरे रहती है।  इनकी संरचना एगलमेन द्धारा दी गई थी। इनका व्यास 0.15𝝻 होता है।इनकी संरचना चार भागो से मिलकर बनी होती है।                                                                             

 Ⅰ आधार काय   Ⅱ मूलिकाये    Ⅲ आधार प्लेट   Ⅳशाफ़्ट                       


        पक्ष्माभिका तथा कशाभिका में अंतर        
                                

       कशाभिका

       पक्ष्माभिका

ये कोशिकाओं के एक सिरे पाई जाती है।

जबकि ये कोशिका के चारों और पाई जाती है।

ये एक कोशिका में एक से दो या चार हो सकती है।

जबकि ये एक कोशिका में 300 से 1400 तक हो सकती है।

इनमे लहर के समान तरगं गति होती है।

 ये घड़ी के पेण्डुलम के समान होती है।

 इनकी गति स्वंतत्र होती है।अथार्त किसी भी दिशा मे हो सकती है।

इनकी गति एक साथ एक ही दिशा में होती है।

इनकी लम्बाई अधिक होती है।

इनकी लम्बाई कम होती है।

इनकी आकृति घोड़े के चाबु के समान होती है।

इनकी आकृति रोम सद्र्श्य होती है।

      
कार्य :  इनका मुख्य कार्य गति एवं पदार्थ का परिवहन तथा अभिगमन करना होता है।  

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