कोशिका भित्तिओं के स्थूलन : कोशिका भित्ति में यान्त्रिक सामर्थ उत्पन्न करने हेतु लिग्निन,सुबेरिन,पेक्टिन आदि पदार्थो के निक्षेपण को कोशिकीय भित्ति स्थूलन कहते है। भित्ति स्थूलन की आकृति के आधार पर स्थूलन छः प्रकार के होते है।
(1)सर्पिलाकार स्थूलन (2) सीढीनुमा स्थूलन (3) जालवत स्थूलन (4) छल्लेदार स्थूलन (वलयाकार) (5) सपाट स्थूलन (6) गर्तीय स्थूलन
(1) सर्पिलाकार स्थूलन : जब कोशिका भित्ति में अतिरिक्त पदार्थो का निक्षेपण सर्पिल आकृति में होता है। इसे सर्पिलाकार स्थूलन कहते है।जैसे प्रटोजाइलम
(2) सीढ़ीनुमा स्थूलन : जब कोशिका भित्ति में पदार्थो का निक्षेपण सीढ़ीनुमा आकृति में होता है। तो इसे सीढ़ीनुमा स्थूलन कहते है। जैसे: जाइलम की वाहिकायें एवं वाहिनिकाओं में।
(3)जालवत स्थूलन : जब कोशिकाओं भित्ति में पदार्थो का निक्षेपण जालीदार स्थिति में होता है। इसे जालवत स्थूलन कहते है। जैसे : फ्लोएम की चालनी नलिकाओं में
(4) छल्लेदार स्थूलन : जब कोशिका भित्ति में पदार्थो का निक्षेपण वलयों के रूप में होता है। इसे छल्लेदार स्थूलन कहते है। जैसे :प्रोटोजाइलम की वाहिकाओं एवं वाहिनिकाओ में।
(5) सपाट स्थूलन : जब कोशिकाओं में पदार्थो का निक्षेपण समान रूप से होता है। इसे सपाट स्थूलन कहते है। जैसे : मृदुतक की कोशिकाओं में।
(6) गर्तीय स्थूलन : जब कोशिकाओं में पदार्थो का निक्षेपण गर्तो के रूप में होता है। इसे गर्तीय स्थूलन कहते है। गर्तीय स्थूलन दो प्रकार के होता है।
(A) सरल गर्त : इसमें झिल्लिया या परतीय उभार युक्त छिद्र पाए जाते है। सरल गर्त कहलाते है। ये लम्बाई में बेलनाकार या गोल होते है। ये गर्त मुख्य रूप से मृदुतक चालनी नलिका, या सहकोशिका की भित्तियों में जोड़ें के आमने सामने पाए जाते है। जिनके बीच की गर्त झिल्ली के माध्यम से जल एवं घुलित पदार्थो का आवागमन होता है।
(B) परिवेशित गर्त : ये गर्त दोहरी झिल्ली के आवरण युक्त छिद्रों में पाए जाते है। या फ्लास्कनुमा होते है। परिवेशित गर्त कहलाते है। इस प्रकार के गर्त में दो आसन्न कोशिकाओं की दितीयक भीति फूल कर गर्त के चारों ओर मेहराब की तरह लटकी रहती है। जिसे बोडर कहते है। इसी बोडर में लेंस के आकार के छिद्र पाए जाते है। जिन्हे गर्त छिद्र कहते है। आमने सामने के गर्त के बीच एक गर्त झिल्ली पाई जाती है। जिसका केन्द्रीय भाग फूला या सुबेरिन युक्त स्थूलन होता है। जिसे टोरस कहते है। टोरस का मुख्य कार्य द्रव्यों के वितरण का नियन्त्रण करना है। इस प्रकार के गर्त जाइलम की वाहिकायें एवं वाहिनिकाओ में पाये जाते है।
thickenings diagarm |
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