कोशिका अवयवों की सरंचना एवं कार्य /कोशिकांग: कोशिकाओं में पाई जाने वाले कोशिकांगो को कोशिकीय अवयव कहते है। जो निम्न प्रकार है। (1)माइट्रोकॉन्ड्रिया (2) लवक (3) अन्तःप्रदव्यी जालिका (4) गॉल्जीकाय (5) राइबोसोम (6) (7)तारकाय (8) सूक्ष्मनलिकायें(9) लाइसोसोम
माइट्रोकॉन्ड्रिया : माइट्रोकॉन्ड्रिया की खोज सर्वप्रथम कॉलीकर ने (1880) में की। ऑल्टमैन (1890)ने इसका विवरण दिया तथा इसका बायोब्लॉस्ट नाम दिया।बेण्डा नामक वैज्ञानिक ने (1897) में माइट्रोकॉन्ड्रिया नाम दिया।seikevitz ने इन्हे कोशिका का शक्ति ग्रह कहा।
आकृति &माप : माइट्रोकॉन्ड्रिया की दो आकृतियाँ अर्धचन्द्राकर तथा अण्डाकार है। माइट्रोकॉन्ड्रिया की माप 1-4.1µm×0॰2-1µm होती है।
नोट :- प्रत्येक कोशिका में माइट्रोकॉन्ड्रिया की संख्या भिन्न भिन्न होती है। जो कोशिका की कार्यिकी पर निर्भर करती है।
संरचना : प्रोकेरियोटिक कोशिका में पाई जाने वाली कणीय संरचना माइट्रोकॉन्ड्रिया कहलाती है। जो एक दोहरी कला युक्त परिक्तव कोशिकांग है।प्रत्येक कला का व्यास 60 -75A० है। इसकी बाहरी झिल्ली सपाट होती है। किन्तु आन्तरिक झिल्ली पर अगुंलीनुमा उभार पाये जाते है। जिनको क्रिस्टी कहते है। दोनों झिल्लिओं के मध्य में पाये जाने वाले स्थान को पेरीमाइट्रोकॉन्ड्रियल स्पेस कहते है। इस स्पेस में विभिन्न एन्जाइम पाये जाते है। इसके मध्य में एक जैली समान प्रोटीन युक्त समांगी पदार्थ भरा रहता है। जिसे मैट्रिक्स कहते है
क्रिस्टी की सतह पर अनेक कणीय संरचना स्थित होती है। जिने ऑक्सीसोम F1 कण कहते है।ऑक्सीसोम के तीन भाग होते है। आधार ,वृन्त, और सिर जो फॉस्फोलिपिड व प्रोटीन के बने होते है।ऑक्सीसोम में ATP सिन्थेज एन्जाइम पाया जाता है। जो ऑक्सीकरण या फास्फोलिपिडकरण का कार्य करता है। मैट्रिक्स में DNA ,RNA व 70S प्रकार के राइबोसोम ,जल लवण एवं क्रेब्स चक्र के लिये आवश्यक एन्जाइम भरे रहते है।माइट्रोकॉन्ड्रिया में स्वयं का DNA होता है। जो स्वयं की अधिकांश क्रियाओ का नियंत्रित करता है। सेमी ओटोनोमस कोशिकांग कहते है।
माइट्रोकॉन्ड्रिया का रासायनिक संघटन : माइट्रोकॉन्ड्रिया के रासायनिक संघटन में प्रोटीन 65 -70 %और फोस्फोलिपिड 25 %तथा RNA 0.5 %और DNA अल्पमात्रा में होता है। माइट्रोकॉन्ड्रिया के कार्य :
1 यह वायवीय श्वसन का स्थल है। अतः अधिकांश ATP का उत्पादन माइट्रोकॉन्ड्रिया द्धारा श्वसन के दौरान होता है ये ATP अनेक उपापचयी क्रियाओं को सम्पन्न करने के लिये आवश्यक होते है।
इस प्रकार माइट्रोकॉन्ड्रिया को कोशिका का शक्तिगृह कहा जाता है।
2 इसमें स्वयं का DNA होने के कारण प्रतिकृति की क्षमता पाई जाती है।
3 माइट्रोकॉन्ड्रिया में प्रकाशी श्वसन में भाग लेने वाले मुख्य भाग ऑक्सीसोम पाया जाता है।
4 क्रेब्स चक्र,वसीय अम्ल संश्लेषण,अमीनो अम्ल संश्लेषण के एन्जाइम मैट्रिक्स में पाये जाते है।
NOTE : 1 क्रेब्स चक्र, माइट्रोकॉन्ड्रिया में सम्पन्न होता है।जबकि ग्लाइकोलाइसिस चक्र कोशिका द्रव्य में सम्पन्न होता है।
2 माइट्रोकॉन्ड्रिया में मैगनीज Mn प्रचुर मात्रा में होता है।
3 माइट्रोकॉन्ड्रिया का विभाजन द्धिखण्डन विधि द्धारा होता है।
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