पर्यावरण क्या है। पर्यावरण के घटक। -
पर्यावरण --वे सामाजिक,सांस्कृतिक एवं भौतिक परिस्थितियाँ जो एकल मानव समुदाय को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है। पर्यावरण कहलाती है।
पर्यावरण के संघटक/घटक/कारक :-पर्यावरण के तीन घटक है।
(1) वायुमंडल
(2) स्थलमंडल
(3) जलमण्डल
पारितंत्र (इको सिस्टम):-जैविक समुदाय का वह समूह जो उसके भौतिक वातावरण के साथ ऊर्जा का आदान -प्रदान एवं पोषक तत्वों के पुनः चक्रण द्वारा परस्पर जुड़ा रहता है। पारितंत्र कहलाता है।
पारितंत्र में जैविक व अजैविक संघटक एक साथ रहते है। व आपस में अन्तः क्रिया द्वारा जुड़ा रहते है।
उत्पादक :- प्रकाश संश्लेषण की क्रिया
6CO2+12H2O ⇌ 6O2↑ + C6H12O6 + ऊर्जा
नोट :-उत्पादक सौर ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा ( C6H12O6 ) में परिवर्तित करता है।
अपघटक :-वे लघु उपभोक्ता (सूक्ष्मजीव )जो मृत जीव जन्तुओ का अपघटन करते है। अपघटक कहलाते है। जैसे :-जीवाणु,कवक,केचुआ।
खाद्य श्रृंखला क्या है। खाद्य श्रृंखला के प्रकार।
आहार नाल एवं खाद्य श्रृंखला :-पारितंत्र में जब सजीव एक निश्चित पोषण स्तर द्वारा एक दूसरे से जुडे हो तो यह खाद्य शृंखला कहलाती है। अर्थात निम्न पोषण स्तर से उच्च पोषण स्तर पर ऊर्जा का स्थानांतरण एक जीव से दूसरे जीव में श्रृंखलाबद्ध रुप से हो ,तो वह खाद्य श्रृंखला कहलाती है। प्रकृति में पाये जाने वाले प्रत्येक जीव भोजन के लिए एक दूसरे जीव पर निर्भर होते है। जिससे एक श्रृंखला बनती है जिसे खाद्य श्रृंखला कहते है। इसमें कोश स्तरों का क्रम द्वारा प्रदर्शित करते है
प्रकृति में पाये जाने वाले प्रत्येक जीव भोजन के लिए एक दूसरे जीव पर निर्भर होते है। जिससे एक श्रृंखला बनती है। जिसे खाद्य श्रृंखला कहते है। इसमें कोश स्तरों का क्रम T1, T2, T3 द्वारा प्रदर्शित करते है।
खाद्य जाल Food Web :-जब अनेक खाद्य श्रृंखलाएं भोजन के लिए आपस में जटिल रुप से गुथकर (Interlocked) एक जाल का निर्माण करती है। जिसे खाद्य जाल कहते है। 1. घास का मैदान /स्थल की खाद्य श्रृंखला :-
2. जलीय आवास /स्थल की खाद्य श्रृंखला :- 3. वन आवास /स्थल में खाद्य श्रृंखला :-
पारितंत्र में पोषी स्तर निम्न है।
1.ऊर्जा का पिरामिड :-ऊर्जा का पिरामिड हमेशा सीधा होता है। उच्च पोषण स्तर का आरेखण नुकीला (कम)तथा आधार चौडा होता है।
2.जैव संख्या का पिरामिड :-घास के मैदान,खेत एवं तालाब आदि में जैव संख्या का पिरामिड सीधा बनता है। परन्तु वृक्ष पारितंत्र में संख्या का पिरामिड उल्टा बनता है।
3.समुद्रीय पारितंत्र :-जलीय पारितंत्र में जैव भार का पिरामिड उल्टा बनता है।
ओजोन :- ऑक्सीजन के तीन अणु ( O2(ऑक्सीजन) + O(आयन)=O3) रासायनिक बंध द्वारा जुडकर ओजोन का निर्माण करते है।
O+O2 →O3(ओजोन)
ओजोन ( O3)समताप मण्डल में पायी जाती है। ओजोन हानिकारक पराबैंगनी किरणों को अवशोषित करके UV के हानिकारक प्रभावों से हमें बचाती है। ओजोन में छिद्र होने से त्वचा कैंसर,कोर्निया शोध व हिम अंधता आदि बीमारियाँ हो रही है। ओजोन परत में छिद्र CFC(क्लोरो फ्लोरो कार्बन), CH4 ( मीथेन ), N2O(नाइट्रोऑक्साइड)के कारण हो रहा है।
नोट:-(1) ओजोन नीले रंग की गैस है। यह एक जहरीली एवं पर्यावरणीय विरोधी गैस है।
(2) ओजोन परत में छिद्र अण्टार्कटिका में 1885 में Nimbus-7 उपग्रह की मदद से देखा।
(3) CFC या फ्रियॉन गैस का (Cl) परमाणु ओजोन का अपघटन करता है।
ग्रीन हाउस /हरितग्रह :- जिस क्षेत्र का तापमान अत्यन्त कम होता है। यहाँ खेती या पादप संवर्धन हरे काँच के घर बनाकर किया जाता है। इन घरो की यह विशेषता होती है। की सूर्य से आने वाला प्रकाश किरण प्रवेश तो कर जाती है। लेकिन वापस बाहर नही निकल पाती है। जिससे अंदर का तापमान बढ़ जाता है। इसे ग्रीन हाउस प्रभाव /हरितग्रह प्रभाव कहते है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण वायुमण्डल का तापमान लगातार बढ़ रहा है। जिससे ध्रुवीय व ग्लोशियर के बर्फ पिघलने से समुद्री जल का स्तर बढ़ रहा है।
CO2 प्रमुख ग्रीन हाउस गैस है। इसके अलावा अन्य गैसCH4-20%,CFC -14%, N2O-6% एवं जल वाष्प इत्यादि है।
कचरा प्रबंधन:-
कचरा - मानव के क्रियाकलापों या गतिविधियो के दूवारा उत्पन्न बेकार अनपयोगी,अनैच्छित पदार्थ सामान्य रुप से ठोस अपशिष्ट कहलाते है। जो (घर /मकान) दुकान,सडक,गली संस्थाओ से झाडन द्वारा प्राप्त होता है।कचरा कहलाता है। कचरा दो प्रकार का है।
(1)Refuse रिफ्यूज:-शहरो में पाये जाने वाला कचरा
(2)Litter लिटर:-गाँवो में पाये जाने वाला कचरा
अपशिष्ट (कचरे) के स्रोत:-
1घरेलू कचरा
2 सड़कीय कचरा
3 औधोगिक कचरा
4 व्यवसायिक कचरा
5 संस्थागत कचरा
नोट :--हमारे यहाँ 300 -400 gm कचरा प्रतिदिन प्रति व्यक्ति उत्पन्न होता है। महानगरों में लगभग 600 gm कचरा प्रति व्यक्ति/day उत्पन्न होता है। कचरे की मात्रा जनसंख्या पर निर्भर करती है।
कचरा प्रबंधन के चरण।
(A) भंडारण-Storage
(B) संग्रहण- Collection
(C) पृथ्वीकरण -Segregation
(D) परिवहन- Transport
(E) विसर्जन - Disposal
(A) भंडारण:- घरेलू स्तर पर कचरा जमा करने के लिए Distbin उपयोग में लिया जाता है। जो कि प्लास्टिक या धातु का ढक्कन युक्त पात्र होता है। (a) कचरे की मात्रा Mg /व्यक्ति /दिन (b) उपयोग कर्ताओ की संख्या (c)सफाई का अन्तराल(bays) दिनो मे।
(B) संग्रहण:- कचरे का संग्रहण घरो से प्रतिदिन किया जाना चाहिए और बन्द वाहनो में विसर्जन स्थल तक ले जाना चाहिए।
(C) पृथ्वीकरण :- गारवेस्ट एवं पुनः उपयोगी अपशिष्ट का अलग-अलग करना नगरपालिका एवं नागरिकों की संयुक्त रुप से जिम्मेदारी है। कचरा पृथ्वीकरण की प्रक्रिया में N.G.O ,CBO तथा Trade व्यवसाय संगठन की मदद ली जाये।
(D) परिवहन:- बन्द वाहनो द्वारा अपशिष्ट को विसर्जन स्थल तक ले जाना।
(E) विसर्जन:- कचरे की विसर्जन नगरपालिका की आर्थिक स्थिति उपलब्ध साधन तथा उपलब्ध विसर्जन स्थल के अनुसार किया जाता है।विधि निम्न है।
(1)Dumping /Tipping methid
(2)Land fill
(3)Composting method
(4)Incineration method
जैव निम्नीकरण:- वे पदार्थ जिनका अपघटन जीवाणु अथवा दूसरे मृतजीवियों द्वारा होता है। अर्थात वे पदार्थ जो जैविक प्रक्रम द्वारा अपघटित हो जाते है। जैव निम्नीकरनिय कहलाते है। जैसे -घास,चमडा,मृतजीव व लकडी आदि।
उपभोक्ता :-ऐसे जीव जो भोजन हेतु उत्पादक व अन्य जीवो पर निर्भर रहते है। उपभोक्ता/परपोषी कहलाते है।
जैसे :-प्राथमिक उपभोक्ता,द्वितीयक उपभोक्ता,तृतीयक उपभोक्ता
अजैव निम्नीकरणीय:- वे पदार्थ जो जैविक प्रक्रम द्वारा अपघटित नही होते है। अजैव निम्नीकरणीय कहलाते है। ये पदार्थ प्रकृति में लम्बे समय तक बने रहते है। जैसे -प्लास्टिक,पॉलीथिन,काँच व धातु के टुकड़े आदि।
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