विद्युत धारा :- किसी चालक मे एक सकेंड या एकांक समय मे बहने वाले आवेश को विद्युत धारा कहते है। विद्युत आवेश के प्रवाह की दर को विद्युत धारा कहते है। विद्युत धारा को एमीटर/आमीटर से मापा जाता है। इसका मात्रक एम्पियर या कुलम्ब/सेकण्ड होता है। अतः यदि t समय में Qआवेश प्रवाहित हो तो:
I=Q/t
विद्युत धारा =आवेश/समय.........①
I =Q/t = e-×n/t
e=इलेक्ट्रान पर आवेश
n इलेक्ट्रानों की संख्या
एक इलेक्ट्रान पर आवेश (1.6× 10-19C) के बराबर होता है। (C =कूलम्ब )
Q1. किसी विद्युत बल्ब के तन्तु में से 0.5 A विद्युत धारा 15 मिनट तक
प्रवाहित होती है। विद्युत परिपथ से प्रवाहित विद्युत आवेश का
परिमाण मापिए।
हल →दिया गया है। I = 0.5A
t =15 मिनट = 900s , t (15m ×60s =900s)
समीकरण ➀ से
I =Q /t
Q =It (वज्र गुणा करने पर )
= 0.5A×900s =450C
Q =450C
विभव:- किसी धनात्मक आवेश की अनन्त से विद्युत क्षेत्र के किसी बिन्दु तक लाने के लिए किया गया कार्य (w) एवं आवेश का मान (Q) के अनुपात को उस बिन्दु का विद्युत विभव कहते है।
दुसरी परिभाषा -- किसी एकांक धनावेश को अनन्त से विद्युत क्षेत्र के किसी बिन्दु तक लाने मे किया गया कार्य विद्युत विभव कहलाता है।
विभवान्तर :- दो बिन्दुओ के बीच के विभव का अन्तर विभवान्तर कहलाता है।
किसी धारावाही विद्युत परिपथ के दो बिन्दुओं के मध्य विद्युत विभवान्तर को कार्य के रुप मे परिभाषित करते है। जो एकांक आवेश को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक लाने मे किया जाता है। इसका S.I मात्रक वोल्ट(V)होता है।
दो बिन्दुओ के मध्य विभवान्तर V=किया गया कार्य / आवेश V= W/Q ------------➁ विभवान्तर को वोल्ट मीटर से मापा जाता है। वोल्ट मीटर को बिन्दुओ के सदैव सामान्तर/पार्श्व क्रम मे जोडा जाता है।
Q.2 12V विभवान्तर के दो बिन्दुओं के मध्य 4C आवेश को ले जाने में कितना कार्य किया जाता है। हल →दिया गया है। वोल्ट V =12
कूलम्ब C =4 (तो आवेश का परिमाण Q =4 )
समीकरण ➁ से
V=W/Q
W=VQ
=12×4 =48
W =48J
ओम का नियम :- किसी चालक के सिरो पर लगाये गये विभवान्तर तथा उसमे प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा के मध्य संबन्ध के नियम को ओम का नियम कहते है।
इसके अनुसार :-अचर ताप पर किसी चालक से प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा (I) उसके सिरों के बीच के विभवान्तर (V) के समानुपाती होता। है
अर्थात V∝ I या I=V/R (अचर ताप पर )--------------➂
R एक नियतांक है। अथवा V=IR --------➃
R=V/I --------- ➄
ओम के नियम का प्रायोगिक सत्यापन :- परिपथ में एक सेल (B) धारा नियंत्रक (Rh),अमीटर (A),वोल्टमीटर(V) व कुंजी (K) को श्रेणी क्रम में जोडते है। तथा चालक तार PQ को वोल्टमीटर के समान्तर क्रम में जोड़ देते है। अब परिपथ में विभिन्न मान की धाराएँ प्रवाहित कर अमीटर से ज्ञात करते है। और इन सभी धाराओं के संगत विभवान्तर वोल्टमीटर से ज्ञात करते है। जिससे यह सिद्ध होता है कि चालक के सिरों के मध्य उत्पन्न विभवान्तर प्रवाहित धारा के समानुपाती होता है। यही ओम का नियम है।
Q.(3) एक चालक तार का प्रतिरोध ज्ञात करो उसमे 0.10 एम्पियर की धारा प्रवाहित करने पर उसके सिरों पर 4 वोल्ट का विभवांतर उत्पन्न होता है।
ओम के नियम से R=V/I
R=4/0.10 R=400/10
R=40𝛀(ओम)
Q.(4) यदि किसी विद्युत बल्ब के तंतु का प्रतिरोध 1200𝛀है। तो यह बल्ब 220V स्रोत से कितनी विद्युत धारा लेगा ?
हल - दिया हुआ है- V =220 V
R =1200𝛀
ओम के नियम समीकरण 3 से
I =V/R
I =220 V/1200𝛀
I= 0.18 A
प्रतिरोध :- किसी चालक में आवेशों के प्रवाह में उत्पन्न बाधा को ही प्रतिरोध कहते है। इसका S.I मात्रक ओम (𝛀) होता है। इसे R से प्रदर्शित करते है।
चालक तार का प्रतिरोध निम्न बातो पर निर्भर करता है।
(1) चालक की लम्बाई
(2) अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल
(3) पदार्थ की प्रकृति पर
(1) चालक की लम्बाई :-किसी चालक का प्रतिरोध चालक की लम्बाई के समानुपाती होता है।
R∝l ----------------➅
(2) तार के अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल :-चालक तार का प्रतिरोध अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल(A) के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
R∝l/A ---------------- ➆ समीकरण (6) व (7) को संयोजित करने पर
R∝ l × l/A
R∝ l/A
अथवा R =𝞺 l /A ------------➇
𝞺(रोह) एक स्थिरांक है। जिसे चालक पदार्थ का विशिष्ट प्रतिरोध या प्रतिरोधकता कहते है।
समीकरण (8) से हल करने पर
𝞺 = RA/l -------------- ➈
नोट :- प्रतिरोधकता चालक की लम्बाई व अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल पर निर्भर नहीं करती है। यह पदार्थ पर निर्भर करती है।
प्रतिरोधकता का मात्रक ओम ✖ मीटर होता है।
Q. (5) यदि किसी विद्युत बल्व के तन्तु का प्रतिरोध 1600(𝛀) है। तो यह बल्व 220V के स्रोत से कितनी विद्युत धारा लेगा ❓
हल → दिया हुआ है। -- R = 1600𝛀
V = 220
ज्ञात करना = विद्युत धारा
समीकरण (3)से
I = V/R
I =220V /1600𝛀
I = 0.13 A
प्रतिरोध का श्रेणी क्रम में संयोजन:- जब दो या दो से अधिक प्रतिरोधों को लगातार क्रम में जोडा जाये तो यह प्रतिरोधों का श्रेणीक्रम संयोजन कहलाता है। इसमें धारा का मान समान रहता है लेकिन विभवान्तर का मान असमान रहता है।
A चालक का विभवान्तर ओम के नियम से : V1=IR1……(10)
B चालक का विभवान्तर ओम के नियम से: V2= IR2…(11)
C चालक का विभवांतर ओम के नियम से : V3= IR3…. . (12)
तीनों चालकों का कुल विभवान्तर
V=V1+V2+V3
समीकरण (10),(11) व (12) में मान रखने पर
V= IR1 + IR2 + IR3
V= I ( R1 + R2 + R3) ………….(13)
यदि तीनों चालकों का कुल प्रतिरोध R हो तो उनका तुल्य विभवांतर V =IR होगा
समीकरण ④में मान रखने पर
IR= I ( R1 + R2 + R3) ……….
R= R1 + R2 + R3 …………(14)
2. प्रतिरोधों का समान्तर क्रम में संयोजन :- जब दो या दो से अधिक प्रतिरोधों के एक सिरे के एक बिन्दु से तथा सभी के दूसरे सिरे को दूसरे बिंदु पर जोड़ दिया जाता है तो प्रतिरोधों का समान्तर क्रम कहलाता है। इसमें विभवान्तर का मान समान होता है। लेकिन धारा का मान भिन्न -भिन्न होता है।
B चालक में प्रवाहित धारा ओम के नियम से: V2= V/R2 ……..(16)
C चाक में प्रवाहित धारा ओम के नियम से : V3= V/R3 …….(17)
तीनों प्रतिरोधों में बहने वाली कुल धारा -
I = I1 + I2+ I3 ...... ...(18)
समीकरण (15),(16) व (17) में मान रखने पर
I = V/R1 + V/R2 + V/R3
I = V [1/R1 + 1/R2 + 1/R3]………(19)
यदि तीनों चालकों का कुल प्रतिरोध R हो तो तुल्य धारा I = V/R होगी। समीकरण⑤में मान रखने पर
V/R = V [1/R1 + 1/R2 + 1+R3 ]……
1/R = 1/R1+1/R2+1/R3 ………..(20)
विद्युत धारा का उष्मीय/तापीय प्रभाव :- जब किसी चालक से विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है। तब वह चालक गर्म हो जाता है। अर्थात विद्युत ऊर्जा का उष्मा में रूपान्तर होता है। इसे ही विद्युत धारा का उष्मीय प्रभाव कहते है।
जैसे :-विद्युत हीटर,विद्युत प्रेस,ट्यूबलाईट व विद्युत बल्व आदि।
माना कि चालक में धारा t समय तक प्रवाहित की जाती है।तो किया गया कार्य = आवेश × विभवान्तर W = Q ×V ......... (21)
धारा के सूत्र या धारा की परिभाषा से
धारा = आवेश /समय I = Q/t
Q = It ......... (22)
समीकरण (21) में समीकरण (22)से Q का मान रखने पर
W = ItV .........(23)
यह प्रवाहित धारा के कारण किये गये विद्युत कार्य का सूत्र है। किया गया कार्य चालक के सिरों पर उत्पन्न विभवान्तर उसमे प्रवाहित धारा I तथा धारा प्रवाहित करने में लगे समय t पर निर्भर करता है। ओम के नियम से V=IR
समीकरण (23) में V का मान रखने पर
W= It(IR)
W= I2Rt ...........(24)
किसी चालक से t समय में प्रवाहित ऊर्जा ऊष्मा ऊर्जा में बदलती है।
अंतः t समय में उत्पन्न ऊष्मा :
H = VIt ......... (25)
V =IR
समीकरण (25) में V का मान रखने पर
H = (IR)It
H = I2Rt ......... (26)
①जूल का प्रथम नियम या धारा का नियम :- जब R व tनियत हो। :-
[H∝ I2]---------------(27)
②जूल का दूसरा नियम या प्रतिरोध का नियम :-जब I व t नियत हो। :-
[H∝ R]------------- (28)
③ जूल का तीसरा नियम या समय का नियम :- जब R व I का मान नियत हो। :-
[H ∝ t ]------------- (29)
समीकरण (27),(28) व (29)से उत्पन्न ऊष्मा [H ∝ I2Rt ]
H ∝ I2Rt जूल -----------(30)
Q. (6) एक घंटे में 50विभवान्तर से 96000 कूलाँम आवेश को स्थानान्तरित करने में उत्पन्न उष्मा परिकालित कीजिए❓
हल → दिया हुआ है - आवेश Q =96000 कुलाम C
समय t =1 घंटा या 3600 सेकण्ड
I = Q / t = 96000/3600 = 80 /3 A
विभवान्तर V = 50 𝛀
उत्पन्न ऊष्मा H = VIt
H = 50 × 80/3 ×3600
H = 4800000 J
विद्युत शक्ति :- किसी विद्युत परिपथ में धारा प्रवाहित करने पर प्रति सेकंड में किया गया कार्य विद्युत शक्ति कहलाता है।
अर्थात विद्युत कार्य करने की दर को विद्युत शक्ति कहते है। .
विद्युत शक्ति (P) = किया गया कार्य W / कुल समय t
P = W/t [W = Q × V ]
P = Q ×V /t [Q = It ]
P = ItV/t [V = IR ]
P = IV -----------(31)
P = I (IR)
P = I2R ---------------(32)
विद्युत शक्ति का S.I मात्रक वाट या जूल/सेकंड होता है। शक्ति का छोटा मात्रक वाट होता है। लेकिन बडे मात्रक किलोवाट,मेगावाट,अश्वशक्ति विद्युत ऊर्जा का व्यापारिक मात्रक किलोवाट घण्टा (Kwh) या यूनिट कहते है।
खपत विद्युत ऊर्जा यूनिट मे निकालने के लिए :-
खपत विद्युत ऊर्जा = किलोवाट ×समय × दिन /1000
Q.(7) 1000 वाट(W)के एक हीटर का प्रयोग प्रतिदिन 2 घंटे तक पानी गर्म करने मे किया जाता है। 10 दिनों मे बिजली की खपत क्या होगी
हल --बिजली की खपत =किलोवाट ×समय × दिन /1000 =1000 ×2 ×10/1000 = 20Kwh /Unit
Q.(8) कोई विद्युत बल्ब 220V के जनित्र से संयोजित है। यदि बल्ब से 0.50A विद्युत धारा प्रवाहित होती है। तो बल्ब की शक्ति क्या है।
हल - दिया हुआ है - V =220V
I = 0.50A
शक्ति = वोल्ट ×धारा P = VI
= 220V× 0.50A
= 110J/s
P = 110W
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