खाध पदार्थो में मिलावट।खाध अपमिश्रण रोकथाम अधिनियम ।

 खाध पदार्थो में मिलावट - वे पोषण रहित पदार्थ जो जानबूझकर सामान्य कम मात्रा में मिलाये जाते है। मिलावटी खाध पदार्थ कहलाते है। 

food adulteration


खाध पदार्थो में अपमिश्रण (मिलावट) कई तरीको से की जा सकती है। खाध पदार्थो में मिलाकर,प्रतिस्थापित करके (शुद्ध चीज के एवज में दूसरी अशुद्ध चीज देना) गुणवता छिपाकर, सड़े या खराब खाध पदार्थ को बेचकर,गलत -बॉन्ड लगाकर,लोगों को गुमराह करते हुए चीज बेचकर तथा विषैले तत्व मिलाकर बेचना। 

 खाध पदार्थो में मिलाये जाने वाले मिलावटी पदार्थ - 

खाध पदार्थ

मिलावट के लिए प्रयुक्त किये जाने वाले पदार्थ

गेहू / चावल

मिट्टी,कंकड़ / बजरी

दालों में

खेसरी दाल,(क्वाशिओकोर रोग होता है)

हल्दी पाउडर

पीली मिट्टी,अभ्रक

धनिया पाउडर

मांड गाय का गोबर गधे की लीद

काली मिर्च

हल्की काली मिर्च,खोखली मिर्च छोटी मुरझाई हुई बेरीज,पपीते के सूखे बीज

मिर्च पाउडर

बुरादा, ईट का पाउडर, तेल में घुलनशील कोलतार डाई

हींग

राल का फूल, गोंद रंगा हुआ

खाध तेल

Argemone का तेल

दुध

मलाई व चर्बी निकालकर मांड व पानी मिलाना

केसर

मकई के सूखे रंगे हुये रेश तथा क्रत्रिम खुशबू भरी जाती है


खाध अपमिश्रण रोकथाम अधिनियम - भारत सरकार ने 1954 में खाध अपमिश्रण अधिनियम इस उद्देश्य से लागू किया की ग्राहको को शुद्ध  व पौष्टिक पदार्थ सही रूप से मिल सके और कपटी व धोखेबाज व्यापारियों से बचा जा सके,इस अधिनियम में 1964 ,1976 तथा 1986 में संशोधन किया गया ,की मिलावटी का अपराध सिद्ध हो जाने पर  कम से कम 6 माह की जेल,कम से कम 1000 रूपये का जुर्माने का प्रावधान है। इस कानून के अंतर्गत रखा गया है की  यदि मामला मृत्यु या गहरे आधात का बनता है। तो ( भारतीय दंड सहिंता की धारा 320 के तहत ) सजा उम्रकैद  की तथा जुर्माना 50000 रूपये से अधिक का हो सकता है। भारत सरकार ने सन 1954 में खाध अपमिश्रण  निवारण अधिनियम और सन  1955 में खाध अपमिश्रण निवारण नियम लागू किया गया था।  

खाध सुरक्षा एवं अधिनियम 2006 अंतराष्ट्रीय नियमों सहित उपभोक्ता सुरक्षा और खाध मानकों की एकीकृत खाध कानून है। 


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