अंगदान

 अंगदान व देहदान - किसी जीवित व्यक्ति या मृत व्यक्ति द्धारा किसी अन्य व्यक्ति को कोई ऊतक या अंग का दान करना अंगदान कहलाता है।  अंगदान करके किसी की जिन्दगी को केवल बचाया ही नहीं बल्कि खुशहाल भी बनाया जाता है। अंगदान दाता की मृत्यु के बाद होता है। 

 

अंगदान

अंगदान व देहदान के महत्व -

 ✪मानव देह प्रकृति की सर्वात्तम कृति है।  किसी व्यक्ति की मृत्यु के उपरांत उसके अंग किसी दूसरे व्यक्ति को लगाकर जीवन बचाया जा सकता है।  

 अंग दान से किसी जरूरत मंद व्यक्ति  की जिन्दगी रोशन कर  सकते है। 

 एक ब्रेनडेड मस्तिष्क वाले व्यक्ति से कई लोगो की जिन्दगी बचाई जा सकती है। 

 अंगदान एक महान दान है। 

 विश्व में हजारो लोग अभी अंग प्रत्यारोपण ना होने के कारण दम तोड़ देते है। अब अंगदान की बहुत आवश्यकता है।  

 अंगदान की भांति भी देहदान किया जाता है। इससे भी लोगो के जीवन बचाये जाते है। 

मृत शरीर से अंगो को निकलकर जरूरतमंद लोगो को लगाए जाते है। 

देहदान को चिकित्सीय क्षेत्र में शिक्षा ग्रहण करने के लिए भी किया जाता है। जिससे एक बेहतरीन चिकित्सक बन सके। 

अंगदान व देहदान एक परम दान  है। 

 अंगदान व देहदान कौन कर सकते है -  

➀ कोई भी व्यक्ति किसी भी धर्म से संबन्धित हो अंगदान व देहदान कर सकता है। 

 ➁ 18 वर्ष से कम आयु के  व्यक्ति लेकिन माता -पिता व क़ानूनी सहमति होने पर।  

➂ अंगदान व देहदान करने वाले की दो व्यक्तियों की लिखित सहमति होना।  

➃ अपनी इच्छानुसार अंगदान व देहदान कर सकते है। 

➄ व्यक्ति पूर्ण रूप से स्वस्थ होना चाहिए। 

 नोट - ❶ भारत में अंगदान व देहदान क़ानूनी रूप से मान्य है।  

❷ भारत में अंगदान करने वाले व्यक्तियों की संख्या 0.9 % है। 

❸ 13 अगस्त को अंगदान दिवस मनाया जाता है। 

❹ साहित्यकार डॉ.विष्णु प्रभाकर,पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री श्री ज्योतिबसु व श्री नाना देशमुख तथा साध्वी ऋतम्भरा,क्रिकेटर गौतम  गंभीर आदि  ने मृत्यु के बाद अपने अंगदान व देहदान कर  दिया थे। 

   

अंगदान

  

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