Class 10th Science Chapter 5, तत्वों का आवर्त वर्गीकरण ।

वर्गीकरण :- वर्गीकरण का अर्थ है। कि जो तत्व रासायनिक भौतिक गुणो  में  समान हो उन्हें एक ही स्थान पर एक ही समूह में रखा जाये जिससे इनका क्रमबद्ध अध्ययन कर सके।                                                                                  

डोबेराइनर त्रिक नियम :- 

(1) डोबेराइनर ने समान गुणधर्म वाले तत्वो को तीन -तीन तत्वो के समूह (त्रिक )में व्यवस्थित करने का प्रयास किया तथा कुछ ही त्रिक बना पाये। 

(2) त्रिक में उपस्थित मध्य वाले तत्व का परमाणु भार शुरू वाले तत्वो के परमाणु भारो  का  माध्य (औसत)है। 

                 

समूह A के तत्व

परमाणु द्रव्यमान

समूह B के तत्व

परमाणु द्रव्यमान

समूह C के तत्व

परमाणु द्रव्यमान

Li (लिथियम)

7

Ca

40

Cl

35.5

Na(सोडियम)

23

Sr

88

Br

80

K(पोटेशियम)

39

Ba

137

I

127

    सूत्र = मध्य की संख्या  = ऊपर की संख्या + नीचे की संख्या /2 

Na = 7 + 39 /2 

 Na = 23                                                                                                          

 न्यूलैंड का अष्टक नियम :-1 यदि तत्वों को उनके परमाणु भार के बढ़ते हुए क्रम में व्यवस्थित करे तो प्रत्येक आठवे तत्व के गुण धर्म उसी प्रकार समान होते है। जैसे संगीत में पहला और आठवाँ स्वर समान होते है।                           

 जैसे -   सा      रे    गा        मा         पा            धा        नि      सा                                                               

             Li         Be      B           C          N     O         F       Na                                                         

 लिथियम                                                                              सोडियम                                                           

Na        Mg     Al          Si          P             S             Cl     K   

 सोडियम                                                                                पोटेशियम                 

नोट :-(1) उस समय तक अक्रिय गैसों की खोज नही हुई थी। 

(2) इस आधार पर वह सभी तत्वों को वर्गीकृत नही कर सके।                                                                                                                                                     

मेण्डलीफ का आवर्त नियम:- मेण्डेलीफ (वैज्ञानिक 1869) ने तत्वों के रासायनिक गुणो को उनके परमाणु भार से सम्बन्धित किया और उन्होने एक नियम दिया जिसे मेण्डलीफ का आवर्त नियम कहते। इस नियम के अनुसार तत्वों के गुण(भौतिक व रसायन ) इनके भारो के आवर्त फलन होते है। मेण्डलीफ की आवर्त सारणी में उर्ध्व स्तंभ को समूह (9)तथा क्षैतिज पंक्तियों (आवर्त) (7)में विभाजित किया गया है।                                              

नोट :- हाइड्रोजन को IA एवं Ⅶ A  दोनों वर्गो में रखा गया है।                                                                                

मेण्डलीफ की आवर्त सारणी की उपलब्धियॉ /उपयोगिता :- 

(1) तत्वों को परमाणु भारो को आवर्त सारणी की सहायता से ज्ञात किया गया।                                                                                                                         

 परमाणु भार =संयोजकता × तुल्यांक भार                                                                                                                   

                   

 =वर्ग संख्या × तुल्यांक भार                                                                                               

 (2) मेण्डलीफ की आवर्त सारणी में दो क्रमागत सदस्यों के मध्य परमाणु भार में दो या तीन इकाइयों का अंतर है। जहाँ यह अन्तर छः या इससे ज्यादा हुआ वही उसने दो तत्वों के मध्य एक स्थान खाली छोड़ दिया जिससे नये तत्वों की खोज प्रेरणा मिली।                                                                                                                          

मेण्डलीफ की आवर्त सारणी के महत्वपूर्ण बिन्दु :-

(1) मेण्डलीफ का पूरा नाम दामित्री इवानोविच मेण्डलीफ था। 

(2) परमाणु क्रमांक 101 वाले तत्व का नामकरण मेण्डलीवियम रखकर वैज्ञानिक मेण्डलीफ का नाम अमर कर दिया जबकि इस तत्व के  खोजकर्ता ग्लेन टी.सी वर्ग थे। 

(3) मेण्डलीफ व आवर्त सारणी  के प्रकाशन तक गैलियम तथा जर्मेनियम तत्वों की खोज नहीं हुई थी। उन्होंने Al व Si के नीचे एक -एक रिक्त स्थान छोड़ा और इन तत्वों का नाम क्रमशः एकाः ऐलुमिनियम तथा एकाः सिलिकॉन रखा है। 

मेण्डलीफ आवर्त सारणी के दोष  :-

(a) हाइड्रोजन की स्थिति अनिश्चित है। इसे ⅠA व Ⅶ A वर्ग में रखा है। क्योंकि यह दोनों वर्गो के तत्वों से समान आचरण करता है।  

(b) समस्थानिकों को कोई स्थान नहीं दिया गया। 

(c) लेन्थेनाइड और ऐक्टिनाइड के विषय में यह पता नहीं चलता है। की ये Ⅲ A  वर्ग  समबन्धित है। या Ⅲ B वर्ग से है। 

आधुनिक आवर्त सारणी  :- हैनरी मोजले ने आधुनिक आवर्त नियम दिया है। इस नियम के अनुसार तत्वों के गुण उनके परमाणु क्रमांको के आवर्त फलन होते है। यदि तत्वों को बढ़ते हुए परमाणु क्रमांको के क्रम में रखे तो एक निश्चित अंतराल के बाद समान गुणधर्मी तत्वों की पुनरावृति होती है।  

नोट :- आधुनिक आवर्त सारणी परमाणु क्रमांक पर निर्भर करती है।  अंतः वैज्ञानिक मोजले ने बताया की परमाणु द्रव्यमान  की तुलना  में किसी तत्व का परमाणु क्रमांक उस तत्व के गुणों को दर्शाने में अधिक सक्षम है। अंतः मेण्डलीफ आवर्त नियम का संशोधन किया गया है। इसे आधुनिक आवर्त नियम भी कहते है। इस नियम के अनुसार तत्वों के भौतिक गुण व रासायनिक गुण इनके परमाणु क्रमांको के आवर्त फलन होते है।  

आधुनिक आवर्त सारणी का दीर्ध रूप :-  यह सारणी 18 वर्गो (ऊर्ध्वाधर स्तंभों) व 7 आवर्त (क्षैतिज पंक्तियों) में विभाजित है।  आवर्त में तत्वों का वितरण निम्न प्रकार है।                   

 

आवर्त

2 तत्व

1H से 2He तक

आवर्त

8 तत्व

3Li से 10Ne तक

आवर्त

8 तत्व

11Na से 18Ar तक

आवर्त

18 तत्व 

10 संक्रमण तत्व

8 सामान्य तत्व

19K से 36Kr तक

21Sc से 30Zn तक

19K, 20Ca व 31Ga से 36Kr

आवर्त

18 तत्व

10 संक्रमण तत्व

8 सामान्य तत्व

37Rb से 54Xe तक

39Y से 48Cd तक

37Rb, 38Sr व 49In से 54Xe

आवर्त

32 तत्व

10 संक्रमण तत्व

14 अन्तः संक्रमण तत्व (लैनथेनाइड)

8 सामान्य तत्व

55Cs से 86 Rn तक

57 La,72Hf से 80Hg तक

58Ce से 71Lu

 

55Ca,56Ba व 81Ti से 86Rn

आवर्त

32 तत्व

10 संक्रमण तत्व

14 अन्तः संक्रमण तत्व (ऐक्टिनाइड)

8 सामान्य तत्व

87Fr से 118 Og तक

89Ac,104Rf से 112Cn तक

90Th से 103 Lr तक

 

87Fr,88Ra व 113Nh से 118Og तक

वर्ग - सारणी में 18 ऊर्ध्वाधर स्तंम्भ है। जिनको वर्ग कहते है। 

A,ⅡA,ⅢA ,ⅣA ,ⅤA ,ⅥA व ⅦA = 7 वर्ग 

ⅠB,ⅡB,ⅢB,ⅣB,ⅤB,ⅥB व ⅦB = 7 वर्ग 

 Ⅷ वर्ग                                 = 3 वर्ग 

शून्य वर्ग                         = 1 वर्ग 

कुल                                = 18 वर्ग  

  

संयोजकता :- किसी तत्व के परमाणु के बाह्यतम कोश में उपस्थित संयोजी इलेक्ट्रॉनों की संख्या को संयोकजता कहते है।                                                    

 -एक ही वर्ग के सभी सदस्य समान संयोजकता प्रदर्शित करते है क्योकि इनके बाह्यतम कोश के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास भी समान होता है। 

 परमाणु त्रिज्या :- एक परमाणु के बाह्यतम इलेक्ट्रॉन और नामिक के मध्य की दुरी को परमाणु त्रिज्या कहते है। आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर परमाणु क्रमांक बढ़ता है। अतः नाभिक में प्रोटॉन की संख्या बढ़ती है। इस कारण बाह्यतम कोश में उपस्थित इलेक्टॉन पर अधिक नाभिकीय आकर्षण बल लगता है। इसलिए परमाणु की त्रिज्या का मान घटता है। 

सारणी :- वर्ग में बढ़ती हुई परमाणु त्रिज्या                              

तत्व (वर्ग)

परमाणु क्रमांक

परमाणु त्रिज्या

कोशों की संख्या

Li (लिथियम)

3

152

2

Na (सोडियम)

11

186

3

K (पोटेशियम)

19

231

4

धात्विक एवं अधात्विक गुण :- 

(1) जिस तत्व की ऋणता का मान कम होगा वह धातु होगी। यदि विधुत ॠणता का मान अधिक हो तब तत्व अधातु होगी। 

(2) आवर्त में बाये से दाये चलने पर विधुत ॠणता का मान बढ़ता जाता है। अतः धात्विक गुण घटता है। व अधात्विक गुण बढ़ता है। 

(3) वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर विधुत ॠणता का मान घटता है। अतः धात्विक गुण बढ़ता है। अधात्विक गुण घटता है।     

  कोशो में इलेक्ट्रॉन भरने का सूत्र :- 

n = कोशो की सँख्या  

K कोश =2×(1)2 = [2 इलेक्ट्रॉन]

L कोश  =2×(2)2=[8इलेक्ट्रॉन

M कोश =2×(3)2=[18इलेक्ट्रॉन]

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