IUCN (International union for conservation of nature) - इसका गठन 1948 में प्रकृति संरक्षण के लिए किया गया जो एक अन्तराष्ट्रीय संस्था है। इसके द्धारा विलुप्ती के कगार पर पहुँच गई जातियों को एक पुस्तक में संकलित किया जाता है। जिसे लाल आंकड़ा पुस्तक (Red date book) कहते है। इसके द्धारा जातियों को निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया गया है।
(a) विलुप्त जातियाँ - वे जातियाँ जो संसार से विलुप्त हो चुकी है। तथा जीवित नहीं है। विलुप्त जातियाँ कहलाती है।
जैसे -डायनोसोर,रायनिया।
(b) सकंटग्रस्त जातियाँ - वे जातियाँ जो विलुप्त होने के कगार पर है। तथा जिनका संरक्षण नहीं किया गया है। संकट ग्रस्त जातियाँ कहलाती है।
जैसे - गेंडा,गोडावन,बव्बरशेर,बघेरा आदि।
(c) सभेदय जातियाँ - वे जातियाँ जो शीघ्र ही संकटग्रस्त होने की स्थिति में है। सभेदय जातियाँ कहलाती है।
जैसे - मोर,काला हिरण गिद्ध।
(d) दुर्लभ जातियाँ - वे जातियाँ जिनकी विश्व में संख्या कम है। तथा निकट भविष्य में संकट ग्रस्त हो सकती है। ये सीमित क्षेत्रों में पाई जाती है। दुर्लभ जातियाँ कहलाती है।
जैसे - हिमालयी भालू,विशाल पाण्डा आदि।
(e) अपर्याप्त ज्ञात जातियाँ - वे जातियाँ जो पृथ्वी पर है। किन्तु इनके विवरण के बारे में अधिक पता नहीं है। अपर्याप्त ज्ञात जातियाँ कहलाती है।
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