परपरागण के साधन (Agencies of cross pollination) :- इन्हें दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है।
(A) अजैविक
(B) जैविक
(A) अजैविक (Abiotic):- इसके अन्तर्गत वायु,जल,गुरूत्व आदि समम्लित होते है।
(ⅰ) वायुपरागण :- यह हवा द्धारा होने वाला परागण है। यह अदिशात्मक होता है। वायुपरागित पादपों के पराकण छोटे,हल्के,शुष्क तथा चिकने होते है। जैसे - गन्ना,मक्का पाइनस,पपीता,घास,टाइफा,खजूर।
(ⅱ) जलपरागण :- पादपों में जल द्धारा परागण होता है। यह दो प्रकार का होता है।
(a) अधिजल परागण :- इस विधि में पादपों में परागण जल के बाहर होता है। जैसे - वेलिसनेरिया - यह एक लिंगीश्रयी मूलीय निमग्न जलीय पादप है।
(b) अधोजल परागण :- इस विधि में पादपों में परागण जल के भीतर होता है। जैसे - जोस्टेरा तथा सिरेटोफिल्म। सभी जलीय पादप जल परागित नहीं होते है।
(B) जैविक (Biotic) :- सजीवों द्धारा परागण,जब परागण जंतुओं द्धारा होता है। उसे जन्तु परागण कहते है। यह पाँच प्रकार का होता है।
(ⅰ) कीटपरागण :- 80% परागण कीटों द्धारा होता है। मधुमक्खियों द्धारा परागित पुष्प चमकदार रंग के (काले या नील गहरे रंग के) सुगन्ध तथा मकरन्द युक्त होते है।
(ⅱ) पक्षीपरागण :- पक्षियों डवार परागण को ओनिरथोफिलि कहते है। पुष्प नलिकाकार या प्यालेनुमा या कलशाकार होते है। पुष्पों के दल चमकदार गहरे रंग खाने योग्य मकरन्द युक्त होते है। जैसे - इरिथिना में कौए तथा गिलहरी द्धारा परागण
(ⅲ) काइरोप्टेरोफिलि :- चमगादड़ों द्धारा परागण होता है। पुष्प हल्के रंग के तीव्र सुगन्ध व प्रचुर मकरन्द युक्त होते है। जैसे - किगोलिया पिन्नेटा।
(ⅳ) मेलेकोफिलि :- घोंघे द्धारा परागण होता है। जैसे - लेम्ना,डिप्टेरा।
(ⅴ) ओफियोफिलि :- सर्पो द्धारा परागण होता है। जैसे - चन्दन,चम्पा(माइकेलिया)
गुण (Merits) :-
(ⅰ) बीज अधिक उर्वर होते है।
(ⅱ) संततियों अधिक स्वस्थ होती होती है।
(ⅲ) अनुकूलताएं अच्छी होती है।
(ⅳ) नयी किस्में बनायी जा सकती है।
दोष (Demerits)
(ⅰ) प्रक्रिया निश्चित नहीं है। क्योंकि पादप कर्मक पर निर्भर है।
(ⅱ) बडी संख्या में पराकण नष्ट हो जाते है।
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