फल का विकास :- निषेचन के पश्चात अण्डाशय परिपक्व होकर फल का निर्माण करता है। बीजाण्ड एवं अण्डाशय की भित्ति में संश्लेषित वृद्धि हार्मोन के प्रभाव से अण्डाशय ऊतकों में तेजी से कोशिका विभाजन होता है। जिसके परिणामस्वरूप अण्डाशय भित्ति भित्ति में रूपान्तरित हो जाती है। किन्तु कभी -कभी बिना निषेचन के अण्डाशय फल में परिवर्तित हो जाता है। जिसे अनिषेकजनितफल कहते है। जैसे - केला,संतरा,पपीता,नाशपाती आदि। अनिषेक फलों में बीज अनुपस्थित रहता है अधिकतर फल केवल अण्डाशय से विकसित होते है। और उन्हें यथार्थ या वास्तविक फल कहते है।
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