भ्रूणपोष । Endosperm

भ्रूणपोष (Endosperm) :- त्रियक संलयन की प्रक्रिया द्धारा कोशिकाओं का पिण्ड भ्रूणपोष कहलाता है। जो भ्रूण विकास के दौरान पोषण प्रदान करने का कार्य करता है। यह निषेचन के दौरान बनने वाला पोषक ऊतक है। विकास की प्रक्रिया के आधार पर भ्रूणपोष तीन प्रकार का होता है। 

 भ्रूणपोष के प्रकार :- 

(Ⅰ) केन्द्रीय भ्रूणपोष ( Nuclear endosperm) :- त्रिगुणित प्राथमिक भ्रूणपोष कोशिकाओं में अनेक सतत समसूत्री कोशिका विभाजन होते है। किन्तु इस प्रक्रिया के दौरान केन्द्रक द्रव का विभाजन होता है। किन्तु कोशिका द्रव का विभाजन नहीं होता है। जिसके परिणाम स्वरूप एक बहुकेन्द्रकीय पिण्ड का निर्माण होता है। जिसमे प्रचुर मात्रा में भोज पदार्थ संचित रहता है। ऐसा भ्रूणपोष केन्द्रीय भ्रूणपोष कहलाता है। जैसे - कपास,मक्का,केप्सेला,नारियल पानी।

 (Ⅱ) कोशिकीय भ्रूणपोष ( Cellular endosperm) :- प्राथमिक त्रिगुणित भ्रूणपोष कोशिका में अनेक समसूत्री कोशिका विभाजन के फलस्वरूप एक बहु कोशिकीय पिण्ड का निर्माण होता है। जिससे प्रचुर मात्रा में भोज पदार्थ पाया जाता है। ऐसा भ्रूणपोष कोशिकीय भ्रूणपोष कहलाता है। जैसे- पिटुनिया,पेप्रोमिया आदि। 

(Ⅲ) माध्यमिक भ्रूणपोष (Helobial endosperm) :- प्राथमिक त्रिगुणित भ्रूणपोष कोशिका में प्रथम समसूत्री विभाजन के फलस्वरूप दो असमान कोशिकाओं का निर्माण होता है। जिससे एक बड़ी तथा एक छोटी कोशिका बनती है। छोटी कोशिका के केन्द्रक में केवल केन्द्रीय विभाजन होते है। जिससे बहु केन्द्रीय पिण्ड का निर्माण होता है। अर्थात केंद्रीय भ्रूणपोष बनता है। जबकि निचली बड़ी कोशिका में अनेक समसूत्री कोशिका विभाजन के परिणामस्वरूप बहु कोशिकीय पिण्ड का निर्माण होता है। तथा कोशिकीय भ्रूणपोष बनता है। अतः एक ही भ्रूणपोष में आधा भाग केंद्रीय भ्रूणपोष का जुड़ा होता है। इसलिए इसे माध्यमिक भ्रूणपोष या हीलोबिय्रल कहते है। जैसे - रेननकुलैसी कुल के सदस्य।  

भ्रूणपोष के कार्य :- भ्रूणपोष कोशिकाओं में कार्बोहाइडडेट,प्रोटीन,प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। जो भ्रूण प्रवर्धन के दौरान प्रारम्भिक अवस्था में पोषण के रूप में प्रयुक्त होती है। भ्रूणपोष में चुषकां का निर्माण होता है। जो परिवर्तित होते हुये भ्रूणपोष से पोषण पदार्थ का अवशोषण करता है। भ्रूणपोष बीजों में अंकुरण के समय नवोदभिद का विकास करता है।         

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