मत्स्य पालन या मछली पालन :- मछलिओं को भोजन एवं औषधी तेलों के उत्पादन हेतु पालन किया जाता है। क्योंकि मछली के माँस में प्रोटीन बहुयात में पाया जाता। है इसके अतिरिक्त खनिज लवण एवं प्रोटीन,वसा प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। इसलिए मछली अपने आप एक सम्पूर्ण भोजन होता है।
मछली पालन प्राकतिक जल स्रोतों एवं कृत्रिम जल स्रोतों दोनों में किया जा सकता है। प्राकृतिक जल स्रोत जैसे - झील,तालाब,पोखर तथा समुंद्र आदि तथा कृत्रिम जल स्रोत मानव द्धारा बनाये जाते है। तथा इनमे मछली पालन किया जाता। है मछलियों को भोजन के रूप में छोटे पादप प्लवक,कैल्सियम अनाज के दानो का उपयोग जाता है।
दक्षिणी भारत में मछलियों को सभी -समाज के व्यक्ति इसको प्रमुख भोजन के रूप में ग्रहण करते है। कुछ मछलियों की ऐसी जाति होती है। जो स्वच्छ जल में पाई जाती है। जैसे - लेबिया,कतला,मिर्गन चनना आदि भोजन के रूप में खाई जाती है।
इसके अतिरिक्त कुछ विदेशी मछलियाँ होती है। जैसे - सिल्वरकॉर्क, ग्रासकारक साइप्रिन्स आदि। कुछ मछलियाँ समुंद्रीय जल में पाई जाती है। जैसे - लेबिया,रोहिता,कतला- कतला त्रषिलश मृिगला आदि मछलियाँ। जो भोजन के रूप में खाई जाती है।
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