रेशम कीट पालन। silkworm rearing । sericulture

 रेशम कीट पालन :- व्यापारी दृष्टि से कच्चा रेशा प्राप्त करने के लिए रेशम कीट का पालन किया जाता है। जिसे रेशम कीट पालन या सेरीकल्चर कहते है। रेशम कीट की कुछ मुख्य प्रजातियॉ होती है। जैसे - बोमबिक्स मोराई यह शहतूत पर पाई जाती है। रेशम कीट का संघ - आर्थोपोडा व वर्ग - इन्सेक्टा है।  तथा ऐटेटस रिसनी - यह अरण्डी पर पाई जाती है। इनमें में बोमबिक्स मोराई मुख्य रेशम कीट होता है। जो शहतूत की पत्तियों पर पाया  जाता है। इसे मल्भरी या सिल्क शल्म भी कहते है।  

रेशम कीट का जीवन चक्र :- वयस्क रेशम कीट लम्बा व सफेद रंग का होता है। जिसके जीवन चक्र में लार्वा,प्यूपा व वयस्क अवस्था पाई जाती है। जिसमे आन्तरिक निषेचन  होता है। रेशम कीट के लार्वा को कैटरपिलर लार्वा कहते है। जो इसके जीवन चक्र की सबसे सक्रिय अवस्था होती है। जिससे रेशम तन्तु का निर्माण होता है। इस अवस्था में यह अपने ऊपर रेशम के धागे को लिपेटकर कोकून नामक आवरण बुनता है। तथा खुद प्यूपा में बदल जाता है। प्यूपा को क्रिराईलेस कहते है। 

silkworm rearing

 रेशम उत्पादन :- कैटरपिलर लार्वा के शीर्ष भाग पर रेशम ग्रन्थियाँ स्थित होती है। जिसमे तरल रूप से रेशम का स्त्राव होता है। जो वायु के सम्पर्क में आने पर सुखकर धागे में बदल जाता है। जिससे कोकून का निर्माण होता है। एक कैटरपिलर एक दिन में 1000 -1200 मीटर लम्बे धागे का निर्माण करता है। रेशम कीट का धागा फाइब्रिन एवं सेरीसिन नामक प्रोटीन द्धारा निर्मित होता है। 

     

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