पृथ्वी की संरचना।

 पृथ्वी की  संरचना - वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी का जन्म लगभग 4.5 अरब वर्ष पूर्व हुआ है। इनके अनुसार सूर्य से अलग होने के बाद पृथ्वी उबलते द्रव के गोले की तरह थी। और पृथ्वी का अधिकांश भाग तरल ही बना रहा था। तथा पृथ्वी का एक मात्र उपग्रह चन्द्रमा था। जिसके आकर्षण के कारण पृथ्वी की घूर्णन गति धीरे - धीरे धीमी होने लगी थी। तथा पृथ्वी के ठण्डा होने पर बनी चट्टानें कुछ हल्की व कुछ भारी थी। भारी चट्टानें धीरे -धीरे निचे की और धसने लग गई तथा हल्की तत्वों से बनी चट्टानें ऊपर रहकर पृथ्वी की सतह का निर्माण किया। पृथ्वी की सतह परतो के रूप में होती है। जिस प्रकार प्याज में छिल्के होते है। पृथ्वी के केंद्र से सतह की दुरी लगभग 3900 Km होने का अनुमान है। पृथ्वी की ऊपरी परत को  भूपपर्टी कहते है जो  एक ठोस परत होती है। इसको पृथ्वी की त्वचा माना जाता है। पृथ्वी की ऊपरी परत की मोटाई सभी स्थानों पर एक समान नहीं होती है। तथा पृथ्वी की दूसरी परत को मेंटल कहते है। यह सबसे मोटी परत होती है। इसका निर्माण गर्म पिघली चट्टानों से हुआ है। इस परत में लोहा,सिलिकेट व मैग्नीशियम की मात्रा अधिक होती है। इस कारण यह परत कही कठोर व कहीं नरम होती है। तथा पृथ्वी का केन्द्रीय भाग क्रोड सबसे अधिक गर्म होता है। इसका तापमान लगभग 7000 डिग्री सेंटीग्रेड होता है। पृथ्वी के क्रोड को दो भागों में बाटा गया है। अन्दर वाला भाग ठोस माना जाता है। तथा यह भाग शुद्ध लोहे का बना होता है। पृथ्वी की सतह का लगभग 70% भाग जल से ढ़का होता है। और 30%भाग पर स्थल भाग पर मैदान,पहाड़,पठार,घाटियाँ व रेगिस्तान आदि भाग दिखाई देते है। इस प्रकार पृथ्वी की संरचना का निर्माण हुआ था और पृथ्वी के निर्माण में लगातार बदलाव होते रहे है। अभी तक वैज्ञानिक  भी पूर्ण रूप से स्षप्ट नहीं कर पाये की पृथ्वी निर्माण कब और कसे हुआ है ये सभी एक अनुमानित आकड़े है जो पृथ्वी निर्माण को बताते है।  


पृथ्वी की  संरचना

 
      

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