नर युग्मको का निर्माण। नर गेमीटोफाइट का विकास

नर युग्मको का निर्माण - नर युग्मक जनन कोशिका में समसूत्री कोशिका विभाजन द्धारा दो अण्डाकार नर युग्मको का निर्माण होता है। जो प्रारम्भिक अवस्था में संलयन रहती है। किन्तु कुछ समय पश्चात एक दूसरे से पृथक -पृथक होकर पराग नलिका में स्वंत्रत हो जाती है। 

(a) परागण पूर्व विकास

❖परागकण से नर युग्मकों का विकास लघुयुग्मकजनन कहलाता है।  

❖ परागकण का अंकुरण परागकोष से मुक्त होने से पूर्व ही प्रारम्भ हो जाता है। जिसे अंकुरण कहते है। 

❖ अधिकांश आवृतबिजियों (60%से अधिक में ) में परागण 2 - कोशिकीय प्रावस्था (कुछ  में ही 3 - कोशिकीय प्रावस्था (जैसे - साइप्रस) में होता है।  नर युग्मक आंशिक रूप से विकसित परागकण होता है। जोकि अगुणित (n) संरचना है।  

(b) परागण पश्च विकास  

❖ परागकणों के वर्तिकाग्र पर पहुँचने के बाद,परागकण अपने अंकुरण छिद्र द्धारा जल व पोषकों का अवशोषण करता है। एक्जाइन फट जाती है। तथा कायिक कोशिका परागनली के रूप में बाहर आ जाती है। तथा परागनली इन्टाइन द्धारा आवरित  होती है।  

❖ परागकण या  तो  एकसाइफनी  (एक परागनली युक्त ) सामान्य प्रकार या बहुसाइफनी -एक से अधिक परागनलियों युक्त होते है। जैसे - कुकुरबिटेसी तथा मालवेसी के सदस्य।   

❖ परागनली को सबसे पहले G.B. अमिकी (1824) ने पोर्चूलाका ओलीरेसिया पादप में प्रेक्षित किया। 

❖ केन्द्रक समसूत्री विभाजन द्धारा दो नर युग्मक बनते है ,नर युग्मक अचल तथा अमीबीय होते है। आकार में कुछ असमान होते है। 

 ❖ परागनली का कार्य स्पर्म को ले जाने का है। परागनली में सबसे पहले ट्यूब केन्द्रक प्रवेश करता है। जो की अवशोषी होता है। तथा शीघ्र विघटित हो जाता है। ट्यूब केन्द्रक वर्तिका में परागनली के मार्ग को निदेर्शित करता है।  

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